सहारनपुर : कक्षा सातवी की छात्रा से दसवीं के छात्र ने किया दुष्कर्म
Up Crime Expressअगस्त 09, 20240
छह माह की गर्भवती हुई तो खुला राज मचा बवाल?
चिलकाना क्षेत्र के एक गांव में सातवीं कक्षा की छात्रा से दुष्कर्म का मामला सामने आया है।
आरोप दसवीं कक्षा के छात्र पर है। पूरे मामला का पता तब चला, जब छात्रा छह माह की गर्भवती हो गई। पुलिस ने छात्रा को मेडिकल के लिए भेज दिया। पीड़ित पक्ष की तहरीर पर आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। थाना क्षेत्र के गांव निवासी 13 वर्षीय किशोरी कक्षा सात में पढ़ रही है। छात्रा के पिता का निधन 22 जनवरी को हो गया था।
25 जनवरी की देर शाम छात्रा अपने घेर में जा रही थी। रास्ते में पड़ोस में रहने वाले एक किशोर ने उसे पकड़ लिया और पास की एक सुनसान जगह पर ले जाकर दुष्कर्म किया। किशोर ने छात्रा को धमकी दी कि यदि किसी को कुछ बताया तो वह उसे जान से मार देगा। इस कारण छात्रा ने परिवार से कुछ नहीं बताया। दो दिन पहले जब तबीयत खराब हो गई। उसे उल्टी एवं बुखार हुआ, तो छात्रा की मां ने अपनी ननद को बताया।
ननद के साथ बेटी को किसी डॉक्टर के पास दिखाने के लिए ले गई। महिला डॉक्टर ने बताया कि किशोरी छह महीने की गर्भवती है। यह सुनकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। जब महिला ने अपनी बेटी से हकीकत पूछी तो उसने पूरा घटनाक्रम बता दिया। महिला ने अपनी बेटी के साथ दुष्कर्म के आरोपी किशोर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। सीओ रुचि गुप्ता का कहना है कि छात्रा को मेडिकल के लिए भेजा गया है। अगर छात्रा छह माह की गर्भवती है तो उसका गर्भपात संभव नहीं है।
मामला दर्ज कर लिया गया है। जल्दी ही आरोपी को पकड़ लिया जाएगा। दोराहे पर खड़ी पीड़ित छात्रा, गर्भपात संभव नहीं छात्रा छह माह की गर्भवती है, ऐसे में गर्भपात संभव नहीं है। यदि प्रसव कराए भी तो इतनी कम उम्र में छात्रा को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। वह जिंदगी भर इस दर्द को नहीं भूल पाएगी। बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार रखें परिजन मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. अमरजीत पोपली का कहना है कि ऐसी उम्र में बच्चे नादान होते हैं।
उन्हें अच्छे और बुरे की समझ इतनी नहीं होती। इसलिए माता-पिता को बच्चों के साथ दोस्ती वाला माहौल रखना चाहिए। बच्चे को लगना चाहिए कि अगर उसके साथ कुछ हुआ है तो माता-पिता को बताने में उसे डर नहीं लगेगा। इस प्रकरण में परिजनों को बच्ची के साथ रहकर उसका हौसला बढ़ाना होगा। उसे विश्वास दिलाना होगा कि परिवार के साथ सुरक्षित है और हर परिस्थिति का सामना कर सकती है। महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. इंद्रा सिंह का कहना है कि एक तरफ बच्ची की उम्र कम है तो दूसरी तरफ गर्भ को ज्यादा समय हो चुका है।
ऐसे में गर्भपात कराना खतरे से खाली नहीं है। इसके अलावा गर्भपात कराने के लिए अदालत की अनुमति जरूरी है। प्राथमिक तौर पर ऐसी स्थिति में प्रसव ही कराया जाता है, लेकिन इसमें बच्ची को मानसिक तौर पर भी मजबूत होना होगा ।