सफलता की खबर मिलते ही बधाई देने वालों का लगा तांता
अपनी इस उपलब्धि पर हसान अकील ने सबसे पहले अल्लाह का शुक्र अदा किया और अपने माता-पिता व शिक्षकों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने हर कदम पर उनका मार्गदर्शन किया और उनका हौसला बनाए रखा।
हसान अकील ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मदरसा फलाहुल मुस्लिमीन, सीधा जैगहां से प्राप्त की और फिर मदरसा-तुल-इस्लाह, सरायमीर, आजमगढ़ से आगे की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली से स्नातक किया और फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में परास्नातक में प्रवेश लिया। परास्नातक के अंतिम सत्र में उन्हें जीआरएफ जैसी प्रतिष्ठित सफलता मिली।
अपनी सफलता पर हस्सान अकील ने कहा, "यदि आप किसी चीज़ को पूरे मन और लगन से चाहते हैं और उसके लिए निरंतर प्रयास करते हैं, तो अल्लाह आपकी राहें आसान कर देता है।"
उनकी इस उपलब्धि पर परिवार के डा अदील सुहेल, डा वकील सुहेल, डा जमील सुहेल, डा अहसन, डा, अजमल, आदि शिक्षकों, मित्रों और क्षेत्रवासियों ने उन्हें बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।