इस मामले में पूछने पर प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ ओम प्रकाश सिंह कुछ कहने से किया इनकार
यह मामला है आजमगढ़ जिले के अहरौला थाना क्षेत्र के बहरा कोठी गांव का, जहां एक शादी समारोह के दौरान की गई हर्ष फायरिंग ने खुशी के माहौल को अफरा-तफरी में बदल दिया।
दूल्हे दीपचंद के ममेरे भाई राम उजागर राम, उम्र 53 वर्ष, निवासी मसौढा कटका थाना अंबेडकरनगर, के बाएं हाथ में गोली लग गई।
सूचना मिलने पर रात करीब 1:30 बजे पुलिस मौके पर पहुंची, और घायल को तुरंत सीएचसी अहरौला भेजा गया। वहां से प्राथमिक इलाज के बाद उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
लेकिन यहां से शुरू होती है स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलने वाली कहानी।
राम उजागर के शरीर में गोली अब भी फंसी हुई है, लेकिन जिला अस्पताल में कोई भी सर्जन उसे निकालने में सफल नहीं हो सका।
डॉक्टर सिर्फ देखने की औपचारिकता निभा रहे हैं, जबकि परिजन इलाज की उम्मीद में दर-दर भटक रहे हैं।
जब इस पूरे मामले पर प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. ओमप्रकाश सिंह से सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसकी जानकारी होने से इनकार कर दिया।
सवाल उठता है कि जब गोली लगने की बात मीडिया और पुलिस को मालूम है, तो चिकित्सा अधिकारी इससे अनजान कैसे हो सकते हैं?
क्या जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों की गंभीर स्थिति की रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों तक नहीं पहुंचती?
राम उजागर की जान खतरे में है, लेकिन जिला अस्पताल की लापरवाही उसे और गंभीर बना रही है।
अब बड़ा सवाल यह है:
क्या जिला अस्पताल सिर्फ रेफर सेंटर बनकर रह गया है?
क्या गोली लगे मरीज को भी VIP सिफारिश चाहिए इलाज के लिए?