समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 में परिवार, पार्टी, पूर्वांचल साध पाएगी? धर्मेंद्र यादव के सामने अब सपा का खोया जनाधार और परिवार की विरासत वापस पाना तो चुनौती होगी।
आजमगढ़ सीट पर समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर परिवार के सदस्य धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया है। बदायूं से सांसद रहे धर्मेंद्र यादव के सामने अब सपा का खोया जनाधार हासिल करना और परिवार की विरासत वापस पाना तो चुनौती होगी ही।
आजमगढ़ से पूर्वांचल साधने की सपा की सियासी रवायत को भी निभाने का जिम्मा होगा। 2022 के उपचुनाव में भाजपा के दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ उन्हें शिकस्त दे चुके हैं। इससे पहले 2014 में प्रचंड मोदी लहर में भी सपा ने अपनी इस पारंपरिक इस सीट को बचा लिया था, मुलायम सिंह यादव सांसद बने थे।
फिर 2019 में खुद अखिलेश यादव यहां उतरे और जीत हासिल की थी। 2019 में जब अखिलेश यादव इस सीट से उतरे थे तो उद्देश्य सिर्फ यह नहीं था कि परिवार की विरासत को बचाए रखनी
है। बल्कि पूर्वांचल की राजनीति में पार्टी की सियासी स्थिति और मजबूत करना था।
इसका फायदा पार्टी को 2022 के विधानसभा चुनाव में मिला भी। मगर अखिलेश के करहल सीट से विधायक बनने के बाद यहां हुए उपचुनाव में भाजपा की जीत के साथ ही सपा का किला दरक गया।
फिर 2019 में खुद अखिलेश यादव यहां उतरे और जीत हासिल की थी। 2019 में जब अखिलेश यादव इस सीट से उतरे थे तो उद्देश्य सिर्फ यह नहीं था कि परिवार की विरासत को बचाए रखनी
है। बल्कि पूर्वांचल की राजनीति में पार्टी की सियासी स्थिति और मजबूत करना था।
इसका फायदा पार्टी को 2022 के विधानसभा चुनाव में मिला भी। मगर अखिलेश के करहल सीट से विधायक बनने के बाद यहां हुए उपचुनाव में भाजपा की जीत के साथ ही सपा का किला दरक गया।