कबाड़ व भवन निर्माण संबंधी काम दिलाने के बहाने लोगों को बुलाकर लूटपाट करने के मामले में आरोपी, बर्खास्त पीएसी जवान और उसके दो साथियों को कैंट पुलिस ने बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में बलिया के चार और सिद्धार्थनगर के एक पीड़ित की तहरीर पर कैंट थाने में केस दर्ज किया गया था। इसकी जांच के बाद पुलिस ने इस गैंग का पर्दाफाश किया है। मेरठ से बर्खास्त पीएसी जवान ने अप्रैल में जेल से छूटने के बाद गोरखपुर को नया ठिकाना बनाया था। बर्खास्त पीएसी जवान लक्ष्मीकांत सिंह उर्फ राणा गाजीपुर जिले के करंडा थाना क्षेत्र के परमेठ गांव का निवासी है। इसके दो साथी अंगद कुमार गोरखपुर के गुलरिहा और वासुदेव शर्मा सिकरीगंज के सटोरा गांव का रहने वाला है। पुलिस ने इन आरोपियों को कोर्ट में पेश किया। वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर, एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई और सीओ कैंट अंशिका वर्मा ने लूट करने वाले इस गैंग का पर्दाफाश करते हुए बताया कि सरगना लक्ष्मीकांत वर्ष 2017 में मेरठ से पीएसी से बर्खास्त हुआ था। इसके बाद वह गैंग बनाकर भोले-भाले लोगों को बंधक बनाकर लूट करता था। उसने अपने तीन नाम लक्ष्मीकांत, राणा और अजय रखे थे। इस पर संतकबीरनगर में दो, वाराणसी के सारनाथ में एक और पांच केस कैंट थाने में दर्ज किए गए हैं। संतकबीरनगर के एक मामले में आरोपी बंद था। अप्रैल में जेल से छूटकर उसने अपना नया ठिकाना गोरखपुर बना लिया था। मई में लक्ष्मीकांत ने खोराबार क्षेत्र के सिक्टौर में एक फ्लैट लिया और कैंट इलाके के रानीडिहा में ऑफिस खोला। यहां पर अगंद और वासुदेव की मदद से बलिया के चार और सिद्धार्थनगर के एक युवक को अलग-अलग दिनों में फोन कर काम करने के लिए बुलाया। यहां आने पर ऑफिस में बंधक बनाकर उनकी पिटाई की और उनसे फोन पे और ग्राहक सेवा केंद्र के माध्यम से पैसे मंगवाए। इसके बाद उनकी आंख पर पट्टी बांधकर सुनसान स्थान पर छोड़ दिया। एसएसपी ने बताया कि आपराधिक रिकॉर्ड होने के बाद भी मकान मालिकों ने लक्ष्मीकांत को घर और ऑफिस दिया था। इससे पहले सत्यापन कराया गया या नहीं, इसकी भी पूछताछ होगी। अगर सत्यापन नहीं कराया गया होगा तो मकान मालिकों पर भी कार्रवाई होगी। पुलिस की पूछताछ में लक्ष्मीकांत ने स्वीकार किया कि वह विभिन्न जिलों में अब तक 15 घटनाओं को अंजाम दे चुका है। बलिया के रसड़ा थाना क्षेत्र के नरेश कुमार, फेकना थाना क्षेत्र के पांडेयपुर निवासी जितेंद्र राजभर, बबलू कुमार और दो अन्य पीड़ितों ने कैंट थाने में केस दर्ज कराया है। पीड़ितों ने बताया कि गोरखपुर पहुंचने पर एक लग्जरी कार उन्हें रानीडिहा स्थित ऑफिस ले गई थी। वहां क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर लक्ष्मीकांत ने बात की। इसके बाद उन्हें लाठी-डंडे से पीटा गया, घर से रुपये मंगाने पर सादे कागज पर अंगूठा लगवाकर उन्हें छोड़ा गया। पीड़ितों से कुल छह लाख रुपये आरोपियों ने लिए थे।