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आजमगढ़ निजामाबाद थाना पुलिस की लापरवाही या हमलावरों की पहुंच?

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 महिला पर जानलेवा हमला करने वाले अभी भी पुलिस की पकड़ से कोषों दूर 

आजमगढ़ निजामाबाद थाना क्षेत्र के जमीन बारी गांव में 28 मई को ज़मीन विवाद में हुई बर्बर घटना ने एक बार फिर से पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक महिला पर लोहे की रॉड और लाठी-डंडों से जानलेवा हमला किया गया, उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, लेकिन इस सनसनीखेज हमले के बावजूद आज तक हमलावर पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।

पीड़ित महिला ने साफ तौर पर अपने पट्टीदार इंद्रेश यादव और चन्दन यादव का नाम लिया है। आरोप है कि ज़मीन पर बांस लगाए जाने के विरोध में महिला को सिर और पैर पर बेरहमी से लोहे की रॉड से पीटा गया, जिससे वह वहीं पर बेहोश हो गई। स्थानीय लोगों ने किसी तरह उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसकी जान तो बचा ली, लेकिन उसकी हालत अब भी गंभीर है।

इतना ही नहीं, महिला के इकलौते बेटे और बेटी को जान से मारने की धमकी भी दी गई है। हमलावरों ने खुलेआम कहा कि "इस बार मां बच गई, अगली बार तुम दोनों को खत्म कर देंगे।"

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पीड़ित परिवार ने घटना का वीडियो तक मीडिया को सौंपा है, जिसमें हमलावरों की बर्बरता साफ-साफ दिखाई दे रही है। बावजूद इसके, पुलिस अभी तक केवल ‘जांच कर रहे हैं’ की रट लगाए बैठी है।

क्या पुलिस किसी दबाव में है?
क्या हमलावरों की राजनीतिक या पैसे की पहुंच के आगे कानून ने घुटने टेक दिए हैं?
जब वीडियो और गवाह मौजूद हैं, फिर गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही?

अब जनता पूछ रही है –  क्या जब कोई बड़ी घटना हो जाएगी तब जागेगा निजामाबाद थाना?
पीड़ित परिवार डरा हुआ है, लेकिन पुलिस को इसकी कोई चिंता नहीं। अगर अब भी कार्यवाही नहीं हुई तो यह लापरवाही नहीं, बल्कि मिलीभगत मानी जाएगी।

अब जनता चाहती है जवाब – इंसाफ कब मिलेगा?


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