Type Here to Get Search Results !

बिजली के निजीकरण के खिलाफ किसान संगठनों का विरोध प्रदर्शन

0

 मुख्यमंत्री को सौंपा गया 7 सूत्रीय मांग पत्र


आजमगढ़।
क्रांतिकारी किसान यूनियन, किसान संग्राम समिति, संयुक्त किसान-खेत मजदूर संघ, अखिल भारतीय किसान महासभा, खेत-मजदूर किसान संग्राम समिति और जमीन मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा सहित कई किसान संगठनों ने मंगलवार को बिजली के निजीकरण के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। अमर शहीद कुंवर सिंह उद्यान में हुई बैठक के बाद प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को 7 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा।

प्रदर्शन के दौरान किसानों ने जोरदार नारे लगाए:
“बिजली बांध हमारे हैं, हम इन्हें नहीं बिकने देंगे!”
“ये खंभे तार हमारे हैं, हम इन्हें नहीं बिकने देंगे!”
“सस्ती बिजली, सस्ता पानी — इससे जुड़ी है मजदूर-किसानी!”
“बिजली के निजीकरण का फैसला वापस लो!”

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश सरकार का निजीकरण का फैसला न सिर्फ किसानों बल्कि मजदूरों, कर्मचारियों और आम उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार तानाशाही रवैया अपनाकर जनता की आवाज को दबा रही है।

वक्ताओं ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने 2020 में बिजली कानून में तीन बार संशोधन किया और 2022 में राज्य सरकारों को बिजली के निजीकरण के निर्देश दे दिए। जबकि दिल्ली बॉर्डर पर ऐतिहासिक किसान आंदोलन के बाद सरकार ने वादा किया था कि बिजली कानून में किसी भी संशोधन से पहले किसानों से सलाह ली जाएगी, लेकिन यह वादा निभाया नहीं गया।

बैठक में बताया गया कि जहां-जहां बिजली का निजीकरण हुआ, वहां दरें 17 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गई हैं। उत्तर प्रदेश में पहले भी निजी कंपनियों को फायदा पहुँचाने के लिए कदम उठाए गए हैं, जिससे सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ।

प्रदर्शन में किसान संगठनों की मुख्य 7 मांगे इस प्रकार हैं:

1. दक्षिणांचल और पूर्वांचल वितरण निगमों के निजीकरण पर पूर्ण रोक लगे।

2. हर ग्रामीण उपभोक्ता को प्रति माह 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाए, ट्यूबवेलों को मुफ्त बिजली मिले।

3. स्मार्ट मीटर योजना रद्द की जाए।

4. किसानों के ट्यूबवेलों को 18 घंटे निरंतर बिजली दी जाए।

5. कनेक्शन से जुड़ी सभी वसूली — चार्ज, लाइन, ट्रांसफार्मर, बिलिंग मीटर, कनेक्शन जोड़ने-काटने का शुल्क — समाप्त किया जाए।

6. निजी कंपनियों से महंगी बिजली की खरीद बंद हो।

7. बिजली विभाग में श्रमिक विरोधी सेवा नियमावली वापस ली जाए और संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए।

बैठक को रामनयन यादव, रामराज, राजेश आज़ाद, दुखहरन सत्यार्थी, कामरेड नंदलाल, रामकुमार यादव, विनोद सिंह, रामचंद्र, रामाश्रय यादव, हरिहर, विनय कुमार उपाध्याय, लालजी, बैरागी, श्रेय यादव, सूबेदार यादव, निर्मल प्रधान, लक्ष्मी आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विनय कुमार उपाध्याय और संचालन राजेश आज़ाद ने किया।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad

Below Post Ad

close