यूपी के इस जिला अस्पताल के आईसीयू में वाड का है ये हाल
कागजों में जिला अस्पताल में एक साल से संचालित है आईसीयू, लेकिन मरीज किए जाते रेफर - जिम्मेदार अस्पताल में एनस्थीस्ट (बेहोशी के डॉक्टर) न होने की बात कहकर झाड़ रहे पल्ला संवाद न्यूज एजेंसी फतेहपुर। गंभीर बीमारों को तत्काल इलाज मुहैया के लिए जिला अस्पताल में खोला गया इंसेंटिव केयर यूनिट (आईसीयू) जिम्मेदारों की संवेदनहीनता के चलते कबाड़ में तब्दील हो चुका है। हाल यह है कि 10 बेड वाले आईसीयू में टूटे फर्नीचर के साथ अन्य कबाड़ भरा है। नतीजतन यहां पहुंचे गंभीर मरीजों को कानपुर का गेट पास थमा दिया जाता है। जिला अस्पताल के अभिलेखों में आईसीयू करीब एक साल से क्रियाशील है। अस्पताल की दूसरी मंजिल के एक बड़े हाल में आईसीयू लिखकर ताला बंद कर दिया गया है। वेंटीलेटर समेत आपातकालीन स्थिति में मरीजों को लगाए जाने वाले चिकित्सकीय उपकरण स्टोर में रखे हैं। आईसीयू के नाम पर नए बेड जरूर लगा दिए गए हैं, लेकिन हैरत की बात यह है कि यहां मरीज एक भी भर्ती नहीं हैं। आईसीयू हाल में कबाड़ भर कर ताला बंद कर दिया गया है। गंभीर रोगी करते हैं रेफर-- जिला अस्पताल में हर रोज सड़ दुर्घटना व अन्य गंभीर रोगी उपचार के लिए पहुंचते हैं, लेकिन आईसीयू न होने की बात कहते हुए डॉक्टर कानपुर हैलट सीधे रेफर कर देते हैं। इसमें कई बार मरीज को तत्काल उपचार न मिलने पर मौत भी हो जाती है। अस्पताल में आईसीयू के सारे संसाधन होने के बावजूद संचालन नहीं करना सवाल खड़े करता है। एनेस्थीसिया के डॉक्टरों की कमी जिला अस्पताल में आईसीयू के पूरे संसाधन हैं। डॉक्टर भी हैं, लेकिन एनेस्थीसिया (बेहोशी का डॉक्टर महज एक ही है। इस वजह से आईसीयू का संचालन करने में अवरोध आ रहा है, वैैसे आपरेशन में ही एनेस्थीसिया के डॉक्टरों की जरूरत होती है। ऐसे मरीजों को छोड़कर अन्य मरीजों के लिए आईसीयू चालू करके राहत दी जा सकती है। --बयान:- आईसीयू क्रियाशील करने के लिए कम से कम चार एनेस्थीसिया डाॅक्टरों की जरूरत है, लेकिन अस्पताल में सिर्फ एक की तैनाती है। इसीलिए आईसीयू चालू नहीं हो पा रहा है। शासन को एनेस्थीसिया डाक्टरों की कमी पूरा करने के लिए लिखा गया है। डॉ. आरपी सिंह, प्राचार्य मेडिकल कालेज।