पिछले दो लोकसभा चुनावों में पूर्वांचल में भाजपा ने अपनी मजबूत दीवार खड़ी की थी, वह अब दरकने लगा है। 2024 के लोकसभा चुनाव का परिणाम भी इसकी पुष्टि करता दिख रहा है । 2014 और 2019 में पूर्वांचल क्षेत्र में आने वाले 27 लोकसभा सीटों में से 20 सीटें जीतकर भाजपा नीत एनडीए ने जो एक बड़ी लकीर खींची थीं, उसे इस बार इंडिया ने छोटी कर दिया है। चुनाव परिणाम के लिहाज से देखा जाए तो इंडिया ने इस बार एनडीए से 4 अधिक सीटें जीतकर यह साबित किया है कि दो लड़कों की जोड़ी हिट रही है। पिछले चुनाव में इस क्षेत्र में सिर्फ एक सीट जीतने वाली सपा ने इस बार 15 सीटें जीत कर भाजपा के सामने कड़ी चुनौती पेश की है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्वांचल क्षेत्र की इलाहाबाद जीत कर इंडिया को मजबूती दी है। पिछली बार की तुलना में इस बार पूर्वांचल में एनडीए को कुल 9 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. चुनाव परिणामों के आधार पर देखें तो दो लड़कों की जोड़ी ने पूर्वांचल की सियासत में बड़ा उलटफेर किया है। आंकड़ों के मुताबिक 2019 में इस क्षेत्र की 27 सीटों में से भाजपा ने 18 और उसकी सहयोगी अपना दल (एस) ने दो सीटें जीती थीं। लेकिन इस बार इस क्षेत्र में भाजपा को सिर्फ 10 सीट ही मिली हैं। वहीं, अपना दल (एस) के खाते में रही दो में एक ही सीट पर जीत मिली है। राबर्टसगंज सीट पर अपनी दल (एस) की प्रत्याशी रिंकी कोल को हराकर कब्जा कर लिया है। इस सीट पर सपा ने भाजपा के पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार को उतारा था। बताते चलें कि 2019 में सपा को पूर्वांचल में सिर्फ एक सीट आजमगढ़ मिली थी। यहां से अखिलेश यादव चुनाव जीते थे। लेकिन विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने यह सीट छोड़ दी तो उप चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर कब्जा जमा लिया था। लेकिन इस बार के चुनाव में बाजी पलट दी है। ताजा चुनाव परिणाम के मुताबिक सपा ने आजमगढ़ सीट को वापस ही नहीं लिया है, बल्कि 2019 में भाजपा की जीत वाली सात सीटें सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, मछलीशहर, बलिया, बस्ती, संतकबीर नगर और चंदौली सीट के अलावा एनडीए की साझेदार अपना दल (एस) की राबर्टसगंज सीट पर कब्जा जमाने में कामयाब रही है। जबकि भाजपा के कब्जे वाली इलाहाबाद सीट पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया है। यहीं नहीं, भाजपा के अलावा पूर्वांचल में 6 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बसपा के खाते में रही छ सीटों लालगंज, जौनपुर, गाजीपुर, श्रावस्ती, घोसी और अंबेडकरनगर पर भी कब्जा करने में सफल रही है। इस प्रकार देखा जाए तो पूर्वांचल में भाजपा को जहां 9 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है, वहीं बसपा का ग्राफ शून्य हो गया है।